Act Now: Ask your Representative to support the PRC!

Connect

नैतिक संकट: सही दिशा की खोज करना

नैतिक दिशा-सूचक

यह अचरज की बात लगती है कि हम सभी एक ऐसे अंदरूनी दिशा-सूचक के साथ जन्म लेते हैं जो हमें जीवन में सही राह दिखाता है — एक नैतिक दिशा-सूचक। हमारी व्यक्तिगत मान्यताएं और विश्वास हमारे दिशा-सूचक को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि हर व्यक्ति को सही दिशा की एक अलग समझ होती है। हमारी राह से हमें हटाने वाली किसी परिस्थिति का सामना होने पर, हमारा नैतिक दिशा-सूचक हमें चेतावनी देता है कि कुछ गलत हो रहा है। हम दुविधा में पड़ जाते हैं। अपने रास्ते से हट जाते हैं।

आजकल की स्वास्थ्य देखभाल की सहज नैतिक जटिलताओं के कारण देखभाल पाने वाले और करने वाले अक्सर नैतिक संकट का अनुभव करते हैं। कितने सारे विकल्प हैं! हम कितना कुछ कर सकते हैं, पर क्या हमें यह करना चाहिए? यहां क्या करना “सही” है?? और, कौन तय करेगा कि सही क्या है? इन और कई अन्य प्रश्नों के उत्तर ढूंढने के लिए कृपया हमारे साथ आइए। नैतिक संकट से पार निकलना तब संभव है जब हम नैतिक मुद्दों को समझने की कोशिश करें, जब हम एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें, और जब हम एक साझा आधार ढूंढने की कोशिश करें। ऐसा करने से हम जान पाते हैं कि हम कहां हैं, हमें आगे क्या करना चाहिए, और फिर हम सही दिशा पहचान कर आगे का रास्ता तय कर पाते हैं। यह सच में अच्छी बात है।

प्रस्तुतकर्ता – जेन डब्ल्यू. बार्टन (Jane W. Barton)। वे गंभीर रोग, देखभाल करने, बढ़ती आयु, और जीवन-समाप्ति संबंधी मुद्दों के जिए गए अनुभव का सामना करने वाले रोगियों, परिजनों, पुरोहिती देखभालकर्ताओं, और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की बात सुनती हैं, उनके लिए लिखती हैं, और उनसे बात करती हैं।