दिमागी चोट / Brain Injury
दिमागी चोट / Brain Injury
दिमाग सचेत क्रियाओं (चलना और बोलना) और अचेत क्रियाएं (सांस लेना, धड़कन, इत्यादि) समेत शरीर की तमाम क्रियाओं के लिए एक नियंत्रण केन्द्र के रूप में काम करता है। दिमाग विचारों, बोध, बोली और भावनाओं को भी नियंत्रित करता है। चाहे किसी जोरदार चोट से या फिर क्लोज्ड हेड इंजरी से मस्तिष्क को होने वाली क्षति से इन में कुछ या तमाम क्रियाएं बाधित हो सकती हैं। क्लोज्ड हेड इंजरी में कपाल में टूट या छेद नहीं होता।
दिमागी चोट गंभीर हो सकता है और उसका शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं पर जीवन भर के लिए असर पड़ सकता है। इसमें चेतना खत्म होना, याददाश्त और/या व्यक्तित्व उलटना, आंशिक या पूर्ण लकवा शामिल है।
ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) मोटर वाहन दुर्घटनाओं, गिरना, हिंसक घटनाओं, और खेल में चोट लगने से होती है। यह महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में दोगुना होती है। अनुमान के अनुसार इसकी दर प्रति एक लाख में 100 है और हर साल 52,000 लोग मर जाते हैं। यह सबसे ज्यादा 15 से 24 साल की उम्र और 75 साल या उससे ज्यादा की उम्र वाले लोगों में होती है।
कपाल के हड्डी के ढांचे में बंद मस्तिष्क एक जीलाटीनस पदार्थ है जो सेरेब्रोस्पाइनल तरल में तैरता रहता है। तरल मस्तिष्क को समर्थन देता और तेजी से घूमते हुए हिसर में धक्के सहने के लिए शॉक अब्जार्बर का काम करता है। कपाल की बाहरी सतह चिकनी है, लेकिन अंदरूनी सतह दांतदार है - यह क्लोज्ड हेड इंजरी में खासी क्षति पहुंचा सकती है क्योंकि कपाल के हड्डी के खुरदुरे ढांचे के अंदर मस्तिष्क उछल सकता है।
दिमाग को नुकसान कपाल में टूट या छेद (किसी वाहन दुर्घटना, गिरने या गोली लगने से), किसी रोग प्रक्रिया (न्यूरोटॉक्सिन, संक्रमण, रसोली, मेटाबोलिक असामान्यता, इत्यादि) या शेकेन बेबी सिंड्राम या सिर की गति में बहुत तेज इजाफा या कमी जैसे किसी क्लोज्ड हेड इंजरी में होता है।
जब किसी धक्के से नुकसान होता है तो दिमाग को यह नुकसान चोट के समय या बाद में सूजन (सेरेब्रल एडेमा) और मस्तिष्क में रक्तस्राव (इंट्रासेरेब्रल हेमरेज) या सिर के इर्दगिर्द रक्तस्राव (एपिड्यूरल या सबड्यूरल हेमरेज) से हो सकता है।
जब सिर काफी जोर से टकराता है, मस्तिष्क घूमता है और अपनी धूरी (मस्तिष्क स्तंभ) पर चक्कर काटता है। इससे सामान्य स्नायु पथ बाधित होते हैं और चेतना जाती रहती है। अगर यह बेहोशी लंबे समय तक बनी रहती है तो घायल व्यक्ति को कोमा में माना जाता है। यह स्थिति मस्तिष्क स्तंभ से कॉरटेक्स में जाने वाले स्नायु तंतु के बाधित होने से होती है।
क्लोज्ड हेड इंजरी अकसर बिना किसी जाहिर बाहरी संकेत के होती है, लेकिन क्लोज्ड और छेदकारी क्षमि में बहुत अंतर है। मिसाल के तौर पर, किसी बंदूक की घोली से हुए घाव में मस्तिष्क का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो सकता है, लेकिन अगर वह हिस्सा महत्वपूर्ण नहीं हुआ तो उसका नतीजा मामूली होगा।
इसके विपरीत, क्लोज्ड हेड इंजरी में अकसर ज्यादा व्यापक नुकसान और व्यापक न्यूरोलोजिक कमियां होती हैं जिनमें आंशिक से ले कर पूर्ण लकवा, संज्ञानात्मक, व्यवहारगत और स्मृति दुष्क्रिया, लगातार निष्क्रिय स्थिति, और मृत्यु शामिल है।
क्षतिग्रस्त मस्तिष्क ऊतक एक छोटे समय काल के लिए ठीक हो सकता है। बहरहाल, एक बार मस्तिष्क ऊतक के मृत या नष्ट होने पर, ऐसी कोई मिसाल नहीं है कि नई मस्तिष्क कोशिका फिर से बढ़ी है। हालांकि नई कोशिका नहीं बढ़ती है, बहाली की प्रक्रिया आम तौर पर जारी रहती है। शायद मस्तिष्क के दूसरे हिस्से नष्ट ऊतक की क्रिया संभाल लेते हैं।
पुनर्वास प्रक्रिया तत्काल शुरू हो जाती है। एक बार याददाश्त बहाल होने लगती है, अकसर बहाली की दर तेज हो जाती है। बहरहाल, अनेक समस्याएं बरकरार रह सकती हैं। इनमें गति, याददाश्त, तन्मयता, जटिल चिंतन, बोली और भाषा, तथा व्यवहारगत परिवर्तन शामिल हैं।
दिमागी चोट के इन जाहिर भौतिक प्रभावों से इतर बचे रह जाने वाले रोगी अकसर अवसाद, बेचैनी, आत्मगरिमा की कमी, परिवर्तित व्यक्तित्व, और कुछ मामलों में किसी मौजूदा कमियों के प्रति आत्मजागृति की कमी शामिल हैं।
स्रोत:
ब्रेन इंजरी रिसोर्स सेंटर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डीफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिआर्डर्स, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलोजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक
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