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ट्रांसवर्स मायलाइटिस

ट्रांसवर्स मायलाइटिस क्या होता है?

ट्रांसवर्स मायलाइटिस (TM), एक बड़े रोग समूह जिसे न्यूरोमायलाइटिस ऑप्टिका स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (NMOSD) कहते हैं, में एक उप-समूह श्रेणी है; इस बड़े रोग समूह में न्यूरोमायलाइटिस ऑप्टिका, यानि दृष्टि तंत्रिका का लकवा भी शामिल है।

ट्रांसवर्स मायलाइटिस में रीढ़ की हड्डी, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक प्रमुख भाग है, में शोथ उत्पन्न हो जाता है। रीढ़ की हड्डी तंत्रिका संकेतों को मस्तिष्क से शरीर के विभिन्न भागों तक और उन भागों से मस्तिष्क तक ले जाती है; ये संकेत रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर से निकलने वाली तंत्रिकाओं के माध्यम से यात्रा करते हैं जो शरीर के अन्य भागों में उपस्थित तंत्रिकाओं से जुड़ी होती हैं। मायलाइटिस (myelitis) शब्द का अर्थ रीढ़ की हड्डी के शोथ से है; ट्रांसवर्स (transverse) शब्द का अर्थ संवेदना में आने वाले बदलावों के पैटर्न से है—इसमें धड़ के आर-पार बैंड या पट्टी जैसी संवेदना होती है, और नीचे संवेदी बदलाव आते हैं।

ट्रांसवर्स मायलाइटिस के कारणों में संक्रमण, प्रतिरक्षा तंत्र के विकार, और ऐसे अन्य विकार शामिल हैं जो मायलिन को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर सकते हैं; मायलिन वह वसीय, सफ़ेद, कुचालक (इंसुलेटिंग) पदार्थ होता है जो तंत्रिका कोशिकाओं के तंतुओं को ढके रहता है। रीढ़ की हड्डी के अंदर शोथ होने से वह रीढ़ की हड्डी के अंदर मौजूद तंत्रिका तंतुओं और शेष शरीर के बीच के संचार को बाधित कर देता है, जिससे चोट के स्तर के नीचे संवेदना और तंत्रिका संकेतन प्रभावित हो जाते हैं। इसके लक्षणों में दर्द, संवेदी समस्याएं, पैरों में और संभवतः बांहों में कमज़ोरी, और मलाशय व मूत्राशय की समस्याएं शामिल हैं। लक्षण अचानक (कुछ घंटों में) या कई दिनों अथवा कई सप्ताह में विकसित हो सकते हैं।

मायलिन वह वसीय आवरण है जो तंत्रिकाओं के बाहरी भाग को ढके रहता है। यदि मायलिन भंग या नष्ट हो जाए, तो तंत्रिका में उससे होकर संदेशों के प्रभावी संप्रेषण की योग्यता घट या चली जाती है। इससे शरीर से मस्तिष्क को और मस्तिष्क से शरीर को जाने वाले संदेश बाधित हो जाते हैं। मायलिन को नुकसान, जिसे डीमायलिनेशन कहते हैं, तंत्रिका आवेगों के उचित संप्रेषण को बाधित कर देता है। मायलिन के चोटिल हो जाने पर, तंत्रिका का सुरक्षा आवरण घट जाता है, जिससे तंत्रिका नुकसान के प्रति असुरक्षित हो जाती है। तंत्रिका से होकर संदेशों के संप्रेषण में भी बाधा आती है। TM के दो उपसमूह हैं, पहला है एक्यूट कम्प्लीट ट्रांसवर्स मायलाइटिस (ACTM), जिसमें तंत्रिकाओं के लंबे-लंबे भागों का डीमायलिनेशन हो जाता है, और दूसरा है एक्यूट पार्शियल ट्रांसवर्स मायलाइटिस (APTM) जिसमें तंत्रिका के अपेक्षाकृत छोटे भागों का डीमायलिनेशन होता है।

तंत्रिकाओं का डीमायलिनेशन, ठीक वैसा ही प्रभाव है जैसा मल्टिपल स्क्लेरोसिस (MS) और न्यूरोमायलाइटिस ऑप्टिका (NMO) के विकसित होने के दौरान देखने को मिलता है। असल में, कई व्यक्तियों में TM, MS का पहला प्रकरण हो सकता है और अंततः TM विकसित होकर MS का रूप ले लेता है।

TM में, रीढ़ की हड्डी में जहां मायलिन पर हमला होता है उस चोट के स्तर से शुरू करते हुए नीचे बाकी के शरीर में संवेदना और गतिक कार्यक्षमता या तो घट जाती है या पूरी तरह चली जाती है। TM के साथ जी रहे लोग अक्सर उस स्तर पर अपने शरीर के इर्द-गिर्द एक बैंड (पट्टी) बंधी होने की बात बताते हैं जहां से TM शुरू होता है। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम), तंत्रिका तंत्र का वह भाग है जो आपके शरीर के स्वायत्त कार्यों, जैसे हृदयगति, को नियंत्रित करता है, और इस रोग में यह तंत्र भी प्रभावित हो जाता है।

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि संक्रमण से प्रतिरक्षा तंत्र में अव्यवस्था फैल जाती है, जिसके कारण रीढ़ की हड्डी पर अप्रत्यक्ष ऑटोइम्यून (स्वयं के प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा) हमला होता है। प्रतिरक्षा तंत्र, जो सामान्यतः शरीर को बाहरी जीवों से बचाता है, गलती से अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला करने लगता है, जिससे शोथ उत्पन्न होता है, और कुछ मामलों में, रीढ़ की हड्डी के मायलिन को क्षति पहुंचती है।

यह स्थिति विभिन्न कारणों से सक्रिय होती है। यह किसी प्रतिरक्षा रोग के कारण या निम्नलिखित से उत्पन्न प्रतिक्रिया जो विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, के कारण सक्रिय हो सकती है:

  • संक्रमण
    • वेरिसेला ज़ोस्टर (चिकनपॉक्स और शिंगल्ज़ उत्पन्न करने वाला वायरस), हरपीज़ सिम्प्लेक्स, एप्स्टीन-बार, इन्फ़्लुएंज़ा, ह्यूमन इम्युनोडेफ़िशिएंसी वायरस (HIV), हेपेटाइटिस A, या रुबेला के कारण वायरल संक्रमण।
    • त्वचा के बैक्टीरियल संक्रमण, मध्य कर्ण के संक्रमण, और बैक्टीरियल न्यूमोनिया
    • कवक संक्रमण, जैसे एस्परजिलस, ब्लास्टोमायसेज़, कॉक्सिडियोआइड्स, और क्रिप्टोकोकस।
  • परजीवी, जिनमें लाइम रोग शामिल है
  • वाहिकीय विकार, जैसे धमनियों और शिराओं की विकृतियां
  • कोई ऐसा रोग जो अज्ञात हो या जिसका पता न लगाया जा सके

अधिकांश मामलों में TM कुछ घंटों में विकसित हो जाता है, पर कुछ मामलों में चार सप्ताह तक का समय लग सकता है। लक्षणों में दर्द, विशेष रूप से कमर में, मांसपेशियों की कमजोरी, असामान्य या अनुपस्थित संवेदना, विशेष रूप से पैरों की अंगुलियों या पंजों में, या रीढ़ की हड्डी में और ऊपर भी, जिसमें अंगुलियां और हथेलियां प्रभावित हो जाती हैं। डीमायलिनेशन के तेज़ी से होने के साथ-साथ लक्षण बढ़ने लगते हैं, और अंततः संवेदना की हानि होती है और लकवा मार जाता है। डीमायलिनेशन आमतौर पर थॉरेसिक (वक्ष या छाती) के स्तर पर होता है, जिससे पैरों की संवेदना और संचलन से जुड़ी समस्याएं और मलाशय व मूत्राशय के नियंत्रण से जुड़ी समस्याएं होती हैं, पर यह रीढ़ की हड्डी में इससे ऊंचे स्तर पर भी हो सकता है जिससे बांहों में संवेदना और कार्यक्षमता की हानि होती है।

अधिकतर लोगों में TM का एक प्रकरण होता है, और बहुत ही थोड़े लोगों में एक से अधिक प्रकरण हो सकते हैं। कुछ लोग मामूली समस्याओं या बिना किसी दीर्घकालिक समस्या के TM से उबर जाते हैं, वहीं कुछ अन्य में ऐसी दीर्घकालिक क्षीणताएं बन जाती हैं जो दैनिक जीवन-यापन के साधारण कार्य करने की उनकी योग्यता को प्रभावित कर देती हैं। कार्यक्षमता की बहाली के लिए पुनर्सुधार ज़रूरी होता है।

स्रोत: NINDS

लक्षण

डीमायलिनेशन की तीव्रता के आधार पर, अलग-अलग लोगों में ट्रांसवर्स मायलाइटिस के लक्षण अलग-अलग दिखते हैं। कुछ में, रीढ़ की हड्डी में जहां TM का हमला हुआ होता है वहां के स्तर से शुरू करते हुए, संवेदना और कार्यक्षमता की आंशिक हानियां होती हैं तो कुछ में पूर्ण हानि। TM के लक्षणों में आमतौर पर ये शामिल होते हैं:

  • ऐसा महसूस होना कि धड़ के चारों ओर कोई पट्टी बंधी हुई है
  • पैरों और बांहों में कमज़ोरी
  • दर्द
  • संवेदनाओं में बदलाव
  • मलाशय व मूत्राशय की कार्यक्षमता और संवेदना में कमी

ट्रांसवर्स मायलाइटिस के लगभग आधे रोगियों में दर्द मुख्य लक्षण है। यह दर्द कमर तक सीमित हो सकता है, या इसमें ऐसी तीक्ष्ण संवेदनाएं हो सकती हैं जो पैरों तक, बांहों तक, या धड़ के इर्द-गिर्द फैल जाती हैं। कभी-कभी, तीव्र स्पास्टिसिटी (मांसपेशियों की कठोरता) के कारण दर्द उत्पन्न होता है।

ट्रांसवर्स मायलाइटिस से पीड़ित अधिकांश लोग गर्मी, सर्दी, या स्पर्श के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि सूचित करते हैं; कुछ में तो अंगुली से हल्के से छू देने भर से उल्लेखनीय दर्द होता है (जिसे एलोडायनिया कहते हैं)।

जीवनशैली में बदलावों और रोग से धीमी गति से उबरने के कारण अवसाद और दुश्चिंता हो सकते हैं। TM जैसे दीर्घस्थायी रोग की दैनिक चुनौतियां शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर बोझीली साबित हो सकती हैं।

TM के प्रभाव अस्थायी भी हो सकते हैं और दीर्घस्थायी भी।

TM का निदान करना

विभिन्न तंत्रिकीय स्थितियों की तरह TM का निदान करना भी कठिन हो सकता है। सबसे पहले, आपात स्थितियों को खत्म किया जाना चाहिए। TM की पुष्टि करने के लिए निम्नलिखित आकलन एवं परीक्षण किए जाते हैं।

व्यक्ति का इतिहास लिया जाता है और शारीरिक जांच की जाती है। यह ज़रूरी है कि आप अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के सामने अपने सभी लक्षणों का वर्णन करें, भले ही वे आपके विचार में TM के लक्षण हों या न हों। इस वर्णन में लक्षणों के होने का समय, और यह बात शामिल होनी चाहिए कि क्या आपको अतीत में कोई लक्षण थे जो अब ठीक हो चुके हैं।

आपका प्रदाता एक व्यापक तंत्रिकीय जांच करेगा जिसमें आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) और आपके शरीर की तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के आकलन शामिल होते हैं। शारीरिक जांच में आपके शरीर की सभी तंत्रिकाओं और जोड़ों का आकलन किया जाएगा और सुई चुभोने के स्पर्श के लिए किसी नुकीली वस्तु का, तथा हल्के स्पर्श के लिए रुई के रेशे का उपयोग करते हुए आपके शरीर की संवेदना का परीक्षण किया जाएगा। बढ़ी हुई संवेदना के कारण परीक्षण को सहन कर पाने की आपकी योग्यता के आधार पर गर्मी और ठंड की संवेदना का परीक्षण किया जा सकता है।

अंदरूनी संरचनाओं को देखने के लिए अक्सर MRI का उपयोग किया जाता है। रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के इमेज प्राप्त किए जाते हैं। यदि रीढ़ की हड्डी में कोई विक्षति है पर मस्तिष्क में नहीं है तो यह TM का संकेत है क्योंकि ये विक्षतियां लंबी होती हैं (डीमायलिनेशन के लंबे-लंबे क्षेत्र)। रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क, दोनों में विक्षतियों का होना MS का संकेत देता है और इन विक्षतियों की लंबाई आमतौर पर कम होती है। कभी-कभार, व्यक्ति की ज़रूरतों के आधार पर CT स्कैन या एक्स-रे किया जाता है।

आपके शरीर के अंदर के एंटीबॉडी का आकलन करने और आपके स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति की निगरानी के लिए रक्त परीक्षण किए जाएंगे। एक्वापोरिन-4 एंटीबॉडी और एंटी-मायलिन ओलिगोडेंड्रोसाइट का होना TM का संकेत देता है। बाद में होने वाले अनुवर्ती रक्त परीक्षणों से दवाओं के कार्य का आकलन प्राप्त होता है।

प्रोटीन में वृद्धि और संक्रमण के आकलन के लिए लंबर पंक्चर (कटि-छिद्रण) या स्पाइनल टैप से सेरेब्रल स्पाइनल फ़्लूइड एकत्र किया जाएगा (यह एक ऐसा तरल होता है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर मौजूद रह कर उन्हें झटकों से सुरक्षा देता है)। प्लिओसायटोसिस उपस्थित होती है जिसका अर्थ सेरेब्रल स्पाइनल फ़्लूइड में श्वेत रक्त कोशिकाओं की बड़ी संख्या से है।

TM के तीव्र (एक्यूट) चरण की शुरुआत में, MRI, लंबर पंक्चर (कटि-छिद्रण) और रक्त परीक्षणों के नतीजे सामान्य रेंज में हो सकते हैं। रोग की पुष्टि का संकेत देने वाले बदलावों को ढूंढने के लिए लगभग एक सप्ताह बाद इन परीक्षणों को दोहराने की ज़रूरत हो सकती है। कभी-कभी, शारीरिक आकलन द्वारा, आपके नैदानिक लक्षणों के प्रकटन के आधार पर, TM की पहचान की जा सकती है।

उपचार और पुनर्सुधार

रीढ़ की हड्डी के अन्य कई विकारों की तरह, ट्रांसवर्स मायलाइटिस का उपचार भी लक्षणों को घटाने पर लक्षित होता है। अभी तक TM का कोई इलाज नहीं मिला है।

इसकी चिकित्सा आमतौर पर रोगी को सर्वप्रथम लक्षण महसूस होने के साथ आरंभ होती है। लक्षणों और परीक्षणों के परिणामों के अनुसार उपचार आगे बढ़ता है। TM से ग्रस्त पाए गए लोगों को उनके लक्षणों के आधार पर अलग-अलग उपचार मिल सकते हैं।

शोथ, शरीर का खुद की रक्षा करने का एक कुदरती तरीका होता है। हालांकि, चूंकि रीढ़ की हड्डी अस्थिमय कशेरुकाओं के अंदर कैद होती है, अतः वहां शोथ या सूजन के लिए कोई गुंजाइश नहीं होती है। इसलिए, शोथ से रीढ़ की हड्डी के प्रभावित भाग पर और आस-पास के स्वस्थ ऊतक पर दबाव पड़ता है।

शोथ घटाने के लिए रोग के शुरुआती कुछ सप्ताह में मुख्य रूप से स्टेरॉयड वर्ग की दवाएं दी जाती हैं, हालांकि इनकी प्रभावशीलता अस्पष्ट है। जिन लोगों में स्टेरॉयड से लाभ नहीं दिखता वे प्लाज़्मा एक्सचेंज थेरेपी (प्लाज़्माफेरेसिस) करवा सकते हैं। प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देने के लिए इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) दिया जा सकता है। दर्द और द्वितीयक लक्षणों के नियंत्रण में मदद के लिए अन्य दवाएं दी जाती हैं। इसका लक्ष्य शरीर को क्रियाशील रखना होता है, इस प्रतीक्षा के साथ कि तंत्रिका तंत्र अपने-आप पूरी तरह या आंशिक रूप से ठीक हो जाएगा।

ट्रांसवर्स मायलाइटिस से स्वास्थ्य-लाभ का आरंभ लक्षणों के आरंभ से दो से 12 सप्ताह के अंदर होता है। व्यक्ति के पूरे जीवनकाल में तंत्रिका तंत्र स्वास्थ्य-लाभ की कोशिश में लगा रहता है। हालांकि, यदि कई माह के बाद भी कोई सुधार न हो, तो अर्थपूर्ण स्वास्थ्य-लाभ एक कहीं धीमी प्रक्रिया बन कर रह जाता है।

तीव्र लक्षणों, जैसे लकवे, से ग्रस्त लोगों का उपचार अधिकांशतः किसी अस्पताल में होता है, जिसके बाद किसी पुनर्सुधार इकाई में विशेषज्ञ पेशेवरों की टीम उनकी देखभाल करती है। मांसपेशियों की शक्ति, तालमेल, और हिल-डुल सकने की रेंज में सुधार लाने में मदद के लिए भौतिक और व्यावसायिक चिकित्सा लगभग तुरंत ही शुरू कर दी जाती हैं। रोगी के कार्यक्षमता के स्तर पर की जाने वाली देखभाल में शामिल की गई गतिविधि से तंत्रिकीय स्वास्थ्य-लाभ होता है।

अन्य सभी दीर्घस्थायी रोगों की तरह इस रोग में भी, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए मनोवैज्ञानिक सहयोग आवश्यक हो सकता है। अप्रत्याशित परिणामों वाला दीर्घकालिक रोग, व्यक्ति और परिवार, दोनों ही के लिए मानसिक रूप से बेहद थका देने वाला हो सकता है। कार्य पर लौटने में व्यावसायिक चिकित्सा मदद कर सकती है।

TM के परिणामों में बहुत अधिक भिन्नता देखने को मिलती है। स्वास्थ्य-लाभ के पूर्वानुमान कठिन होते हैं। TM से प्रभावित कुछ लोग अच्छी-खासी हद तक या पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। कुछ अन्य में ठीक-ठाक स्वास्थ्य-लाभ दिखता है और उनमें जकड़न वाली चाल, संवेदनाओं का ठीक से कार्य न करना, मूत्र की तीव्र इच्छा या उसे रोक न पाना जैसी कमियां शेष रह जाती हैं। शेष लोगों को सहायता की ज़रूरत पड़ती है, जैसे वे आने-जाने के लिए व्हीलचेयर का उपयोग करते हैं, और दैनिक जीवन-यापन के आधारभूत कार्यों के लिए संभवतः दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं।

इस रोग की पहचान और उपचार के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों हेतु एक क्लीनिकल प्रैक्टिस गाइडलाइन उपलब्ध है:

T.F. Scott, E.M. Frohman, J. De Seze, G.S. Gronseth, B.G. Weinshenker. Evidence-based guideline: Clinical evaluation and treatment of transverse myelitis. Report of the Therapeutics and Technology Assessment Subcommittee of the American Academy of Neurology. Neurology, December 13, 2011; 77 (24) Special Article. First published December 7, 2011, DOI: https://doi.org/10.1212/WNL.0b013e31823dc535

अनुसंधान

आण्विक स्तर पर TM का कारण ढूंढने के लिए व्यापक अनुसंधान किया जा रहा है। समस्या का स्रोत पता चल जाने पर, उपचार विकल्पों में प्रगति हो सकेगी, इस रोग को अन्य रोगों, जैसे MS, में बदलने को धीमा किया जा सकेगा, और इलाज मिल सकेगा। मौजूदा ज्ञान में और वर्धन करने के लिए कई प्रयोगशाला अध्ययन किए जा रहे हैं।

इन प्रयोगशाला अध्ययनों में ऐसे अध्ययन शामिल हैं जो यह खोज कर रहे हैं कि प्रतिरक्षा तंत्र मायलिन पर हमला क्यों करता है, और ओलिगोडेंड्रोसाइट प्रोजेनिटर सेल्स (OPC) की मदद से तंत्रिकाओं के चारों ओर मायलिन को किस प्रकार दोबारा बनाया जा सकता है, और ऐसे आनुवंशिक अध्ययन भी किए जा रहे हैं जो Brg1 (ब्रह्मा-संबंधी जीन) जैसे जीनों पर फ़ोकस कर रहे हैं।

क्लीनिकल परीक्षण ऐसे शोध अध्ययन होते हैं जो लोगों पर किए जाते हैं। इनमें दवाएं, रोग की प्रगति, स्वास्थ्य-लाभ, और द्वितीयक जटिलताओं को घटाना शामिल होता है।

TM को दोबारा होने से रोकने वाली दवाएं अध्ययन के चरण में हैं। इनमें मिटॉक्सेन्ट्रॉन (Mitoxantrone) और रिटक्सिमैब (Rituximab) शामिल हैं। FDA ने दोनों दवाओं को अन्य रोगों के लिए स्वीकृति दी हुई है। TM को दोबारा होने से रोकने में इनकी प्रभावशीलता अभी तक प्रदर्शित नहीं हो पाई है।

तीव्र (एक्यूट) चरण में रोग की प्रगति और दीर्घकालिक स्वास्थ्य-लाभ के दीर्घकालिक अध्ययन किए जा रहे हैं। द्वितीयक जटिलताओं, जैसे चाल के पैटर्न और दैनिक जीवन की गतिविधियों में आत्मनिर्भरता पर भी अध्ययन जारी हैं।

बाल शोध

हालांकि बच्चों में TM की अधिक व्यापकता नहीं है, पर इस पर गहन अनुसंधान किया जा रहा है।

तथ्य एवं आंकड़े

ट्रांसवर्स मायलाइटिस वयस्कों में, बच्चों में, महिलाओं में थोड़ा अधिक, और सभी नस्लों में होता है। वंशानुगत या आनुवंशिक आधार पर इसके होने की संभावना अधिक होने का कोई प्रमाण नहीं है।

हालांकि TM किसी भी आयु में हो सकता है, पर आयु की दो ऐसी अवधियां हैं जिस दौरान सर्वाधिक नए मामले सामने आते दिखते हैं। ये अवधियां हैं 10 से 19 वर्ष की आयु और 30 से 39 वर्ष की आयु।

अमेरिका में हर वर्ष ट्रांसवर्स मायलाइटिस के लगभग 1,400 नए मामलों की पहचान होती है, और लगभग 33,000 अमेरिकी TM के कारण किसी-न-किसी प्रकार की अशक्तता से ग्रस्त हैं।

16-60% मामलों में कोई ज्ञात आरंभ कारक (ट्रिगर) नहीं होता है। इसे इडियोपैथिक (अज्ञात कारण से) आरंभ कहते हैं। इतने अधिक मामलों के इडियोपैथिक होने के पीछे का कारण है इसकी पहचान का कठिन होना, जिसमें काफी समय लगता है। काफी हद तक अन्य तंत्रिकीय रोगों की तरह, TM की पहचान भी पहले अन्य रोगों को ख़ारिज करके की जाती है।

एक्यूट पार्शियल ट्रांसवर्स मायलाइटिस (APTM) के साथ आने वाले व्यक्तियों में इसके मल्टिपल स्क्लेरोसिस (MS) में बदल जाने का जोखिम अधिक होता है।

संसाधन

अतिरिक्त पठन

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