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दर्द

दर्द क्या होता है?

दर्द तंत्रिका प्रणाली में सक्रिय हुआ एक संकेत होता है जो हमें संभावित चोट या क्षति के प्रति सचेत करता है।

तीव्र दर्द, जो अचानक आघात के फलस्वरूप होता है, का एक प्रयोजन होता है। इस प्रकार के दर्द के कारण की पहचान एवं उपचार आमतौर पर संभव है ताकि तकलीफ़ का प्रबंधन किया जा सके और उसे एक निश्चित समयावधि में सीमित किया जा सके।

पर जीर्ण या दीर्घस्थायी दर्द कहीं अधिक चकराने वाला होता है। यह एक ऐसा अलार्म है जो बंद ही नहीं होता है और अधिकांश चिकित्सीय उपचारों पर प्रतिक्रिया नहीं देता है।

यह किसी लगातार बने हुए कारण का परिणाम हो सकता है – जैसे गठिया, कैंसर, या संक्रमण – पर कुछ लोगों में किसी स्पष्ट विकृति या क्षति के साक्ष्य की अनुपस्थिति के बावजूद कई सप्ताह, माह और वर्षों तक जीर्ण दर्द बना रहता है।

एक प्रकार का जीर्ण दर्द जिसे तंत्रिकाजन्य या तंत्रिकाविकृतिजन्य दर्द कहते हैं, प्रायः लकवे के रोगियों में देखने को मिलता है – यह ऐसे लोगों के लिए एक क्रूर विडंबना है जिनमें दर्द की यातना का अनुभव करने की संवेदना ही नहीं होती।

दर्द क्यों होता है?

दर्द एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बहुत से रसायनों के बीच एक नाज़ुक परस्पर क्रिया होती है। न्यूरोट्रांसमिटर कहलाने वाले ये रसायन, तंत्रिका आवेगों को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक ले जाते हैं।

चोटिल/क्षतिग्रस्त रीढ़ की हड्डी में GABA (गामा-अमीनोब्यूटायरिक एसिड) नामक एक प्रावरोधी न्यूरोट्रांसमिटर का विकट अभाव होता है। इससे रीढ़ की हड्डी के ऐसी तंत्रिका कोशिकाओं पर से “प्रावरोध हट सकता है” जो दर्द की संवेदनाओं के लिए उत्तरदायी होती हैं, जिसके कारण वे सामान्य से अधिक संकेत भेजने लगती हैं। प्रावरोध का यह हटना, स्पास्टिसिटी (मांसपेशियों की कठोरता) का भी मूल कारण माना जाता है।

हालिया आंकड़े यह भी सुझाते हैं कि नॉरएपिनेफ्रिन नामक न्यूरोट्रांसमिटर की कमी, और ग्लूटामेट नामक न्यूरोट्रांसमिटर की अति प्रचुरता भी हो सकती है। प्रयोगों में, अवरुद्ध ग्लूटामेट ग्राहियों वाले चूहों में दर्द पर प्रतिक्रिया में कमी देखी गई है।

दर्द के संप्रेषण में शामिल अन्य महत्वपूर्ण ग्राहियों का एक उदाहरण अफ़ीम-सम ग्राही (ओपिएट-लाइक रिसेप्टर) हैं। मॉर्फीन और अन्य अफ़ीम जैसी दवाएं इन ग्राहियों को बांधकर कार्य करती हैं, जो दर्द का प्रावरोध करने वाले पथों या परिपथों को चालू कर देती हैं जिससे दर्द अवरुद्ध हो जाता है।

चोट/क्षति के बाद, तंत्रिका तंत्र एक बेहद बड़े पुनर्गठन से गुजरता है। चोट/क्षति और लगातार बने रहने वाले दर्द के कारण जो नाटकीय बदलाव होते हैं, उससे उस जीर्ण दर्द को बल मिलता है जिसे तंत्रिका तंत्र का एक रोग माना जाना चाहिए, न कि बस लंबे समय तक बना हुआ तीव्र दर्द या किसी चोट/क्षति का कोई लक्षण। अतः नई दवाओं का विकास आवश्यक है।

दुर्भाग्य से, अधिकांश जीर्ण दर्द वाली स्थितियों की वर्तमान दवाएं अपेक्षाकृत रूप से अप्रभावी हैं और अधिकांश का प्रयोग परीक्षण-त्रुटि वाले ढंग से किया जाता है।

तंत्रिकाओं के जीर्ण दर्द के साथ केवल कष्ट की व्याकुलता की ही समस्या नहीं है। दर्द के कारण अक्रियता उत्पन्न हो सकती है, जो गुस्से और हताशा, अकेलेपन, अवसाद, नींद न आने, उदासी, और संभावित रूप से और अधिक दर्द का कारण बन सकती है।

यह एक दुष्चक्र है जिससे निकलना कठिन है, और आधुनिक चिकित्सा पद्धति बहुत अधिक सहायता नहीं कर पाती है। दर्द पर नियंत्रण, कार्यक्षमता सुधारने और लोगों को दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां करने योग्य बनाने के लिए दर्द के प्रबंधन का विषय बन जाता है।

दर्द के प्रकार

मांसपेशियों व कंकाल का या यांत्रिक दर्द: यह रीढ़ की हड्डी की क्षति वाले स्तर या उससे ऊपर होता है और यह बची हुई कार्यक्षम पेशियों के अत्यधिक उपयोग के कारण, या फिर अनभ्यस्त गतिविधियों में पेशियों के प्रयोग के कारण उत्पन्न हो सकता है। व्हीलचेयर चलाना और एक स्थान से दूसरे स्थान जाना अधिकांश यांत्रिक दर्द के लिए उत्तरदायी होते हैं।

केंद्रीय दर्द या डीएफ़रेंटेशन दर्द का अनुभव चोट/क्षति के स्तर से नीचे होता है और सामान्यतः इसमें जलन, पीड़ा और/या झुनझुनी का एहसास होता है। आवश्यक नहीं कि केंद्रीय दर्द तुरंत प्रकट हो जाए। इसे प्रकट होने में कई सप्ताह या माह लग सकते हैं और यह प्रायः रीढ़ की हड्डी की थोड़ी कार्यक्षमता के वापस आने से जुड़ा होता है। पूर्ण चोटों/क्षतियों में इस प्रकार का दर्द कम आम होता है। अन्य उत्तेजनाएं, जैसे दबाव के कारण होने वाले छाले या घाव, अथवा हड्डी टूटना, केंद्रीय दर्द की जलन बढ़ा सकती हैं।

मनोवैज्ञानिक दर्द: अधिक आयु, अवसाद, तनाव, और बेचैनी का रीढ़ की हड्डी की चोट/क्षति के बाद होने वाले दर्द में वृद्धि से संबंध होता है। इसका यह अर्थ नहीं कि दर्द की संवेदना आपका वहम है – यह असली होता है, पर दर्द में एक भावनात्मक घटक का होना भी प्रतीत होता है।

तंत्रिका विकृति जन्य दर्द के लिए उपचार विकल्प

गर्मी और मालिश चिकित्सा: यह रीढ़ की हड्डी की चोट/क्षति से संबंधित मांसपेशियों व हड्डियों के दर्द के लिए कभी-कभी प्रभावी होती है।

एक्युपंक्चर: यह चीन में जन्मी 2,500 वर्ष पुरानी पद्धति है जिसमें शरीर के कुछ सटीक बिंदुओं पर सुइयां लगाई जाती हैं। हालांकि कुछ शोधकार्य बताते हैं कि यह तकनीक शरीर के प्राकृतिक दर्दनिवारकों (एंडॉर्फिन्स) का स्तर बढ़ाती है, पर एक्युपंक्चर को चिकित्सा समुदाय में पूरी तरह स्वीकार नहीं किया गया है। जो भी हो, यह अप्रवेशी विधि है और दर्द के कई अन्य उपचारों की तुलना में सस्ती भी है। कुछ सीमित अध्ययनों में, इस विधि से SCI दर्द में राहत मिलती देखी गई है।

व्यायाम: SCI से पीड़ित ऐसे व्यक्तियों, जिन्होंने नियमित व्यायाम कार्यक्रम में भाग लिया, ने न केवल दर्द के स्कोर में उल्लेखनीय सुधार दिखाया, बल्कि उनके अवसाद स्कोर में भी सुधार हुआ। यहां तक कि हल्के से मध्यम तीव्रता के व्यायाम या तैराकी से भी तनावग्रस्त और कमज़ोर मांसपेशियों तक जाने वाले रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह सुधरता है जिससे खुद के चंगा होने के एहसास में सहायता मिलती है। कम तनाव का अर्थ है कम दर्द।

सम्मोहन/हिप्नोसिस: दृश्यात्मक चित्रकारी चिकित्सा, जिसमें व्यवहार को संशोधित करने के लिए मार्गदर्शित छवियों का उपयोग किया जाता है, कुछ लोगों की तकलीफ़ की धारणाओं में बदलाव लाकर दर्द घटाने में मदद करती है।

जैविक प्रतिपुष्टि/बायोफ़ीडबैक: यह लोगों को कुछ शारीरिक कार्यों जैसे मांसपेशियों के तनाव, हृदय गति और त्वचा के तापमान के प्रति सजग बनने और उन पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित करती है। व्यक्ति दर्द पर अपनी प्रतिक्रिया में, उदाहरण के तौर पर, शिथिलीकरण (रिलेक्सेशन) तकनीकों का उपयोग करके, बदलाव लाना भी सीख सकता है। मस्तिष्क की असंतुलित ताल को सचेतन ढंग से संशोधित करके, व्यक्ति शरीर की प्रक्रियाओं और मस्तिष्क की कार्यिकी में सुधार ला सकते हैं। बायोफ़ीडबैक का उपयोग करके, विशेष रूप से मस्तिष्क तरंगों की जानकारी (EEG) का उपयोग करके जीर्ण दर्द के उपचार के कई दावे किए गए हैं।

ट्रांसक्रेनियल इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन (TCES): इसमें व्यक्ति के सिर की त्वचा पर इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जिनसे निकली विद्युतधारा नीचे स्थित सेरेब्रम को उद्दीप्त करती है। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि यह अपेक्षाकृत नया उपचार SCI-संबंधी जीर्ण दर्द को घटाने में उपयोगी हो सकता है।

ट्रांसक्युटेनियस इलेक्ट्रिल नर्व स्टीमुलेशन (TENS): इससे मांसपेशियों व हड्डियों के जीर्ण दर्द में राहत मिलती देखी गई है। सामान्यतः TENS, चोट/क्षति के स्तर से नीचे के दर्द के लिए इतनी प्रभावी नहीं पाई गई है।

ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टीमुलेशन (TMS): इसमें मस्तिष्क पर विद्युतचुंबकीय स्पंदनों का उपयोग किया जाता है। TMS ने स्ट्रोक के बाद के दर्द में राहत दी है और कुछ अध्ययनों में इसने दीर्घकालिक उपयोग किए जाने पर SCI के बाद होने वाले दर्द को घटाया है।

रीढ़ की हड्डी का उद्दीपन: रीढ़ की हड्डी के एपिड्यूरल स्थान में सर्जरी द्वारा इलेक्ट्रोड घुसाए जाते हैं। रोगी छोटे से बॉक्स जैसे रिसीवर से रीढ़ की हड्डी को विद्युत स्पंद भेजता है। इसका उपयोग कमर के दर्द के लिए सबसे अधिक होता है, पर MS या लकवे से ग्रस्त कुछ लोग भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं।

डीप ब्रेन स्टीमुलेशन: इसे एक चरम उपचार माना जाता है और इसमें सर्जरी द्वारा मस्तिष्क को उद्दीप्त किया जाता है, जो आमतौर पर थैलामस पर किया जाता है। इसका उपयोग कुछ सीमित स्थितियों के लिए होता है, जिनमें केंद्रीय दर्द संलक्षण, कैंसर का दर्द, फैंटम लिंब (कटी हुई या अनुपस्थित बांह या पैर के होने का एहसास) से जुड़ा दर्द, और अन्य प्रकार के तंत्रिका विकृति जन्य दर्द शामिल हैं।

चुंबक: इसे आमतौर पर छद्मविज्ञान कहकर ख़ारिज कर दिया जाता है, पर इसके समर्थक यह सिद्धांत पेश करते हैं कि चुंबकीय क्षेत्रों से कोशिकाओं या शरीर के रसायन में बदलाव हो सकता है जिससे दर्द में राहत मिल सकती है।

बोटुलिनम टॉक्सिन के इंजेक्शन (बोटॉक्स): आमतौर पर इनका उपयोग फ़ोकल स्पास्टिसिटी (एक स्थिति जो सचलता को प्रभावित करती है और व्यक्ति को अक्षम करने वाला दर्द करती है) के उपचार के लिए होता है, पर ये दर्द पर भी प्रभावकारी हो सकते हैं।

तंत्रिका अवरोध: दवाएं, रासायनिक पदार्थ, या सर्जरी की तकनीकें शरीर के विशिष्ट क्षेत्रों और मस्तिष्क के बीच दर्द के संदेशों के संप्रेषण को अवरुद्ध कर देती हैं। सर्जिकल तंत्रिका अवरोध के प्रकारों में न्यूरेक्टॉमी, स्पाइनल डॉर्सल, क्रेनियल, और ट्राइजेमिनल राइज़ोटॉमी, तथा अनुकंपी अवरोध शामिल हैं।

भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्सुधार: इनका उपयोग प्रायः कार्यक्षमता बढ़ाने, दर्द पर नियंत्रण करने, और व्यक्ति के स्वास्थ्य लाभ की गति बढ़ाने के लिए होता है।

सर्जरी: इसमें राइज़ोटॉमी शामिल है, जिसमें रीढ़ की हड्डी के समीप की किसी तंत्रिका को काट दिया जाता है, और इसमें कॉर्डोटॉमी भी शामिल है, जिसमें रीढ़ की हड्डी के अंदर तंत्रिकाओं के पूरे-के-पूरे बंडल काट दिए जाते हैं।

कॉर्डोटॉमी: इसका उपयोग असाध्य कैंसर से जुड़े दर्द के उपचार के लिए होता है। डॉर्सल रूट एंट्री ज़ोन ऑपरेशन या DREZ में रीढ़ की हड्डी की उन तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं जो रोगी के दर्द से संबंधित होती हैं। यह सर्जरी इलेक्ट्रोड की मदद से की जा सकती है जो मस्तिष्क के लक्षित क्षेत्र में चुनिंदा तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं।

गांजा/मैरूआना: हालांकि यह कई राज्यों में अवैध है, पर इसके समर्थक इसे दर्द के अन्य उपायों के बराबर रखते हैं। वस्तुतः इसे केवल इसी उद्देश्य से अमेरिकी सरकार द्वारा कई वर्षों तक सिगरेट रूप में बेचा गया था। प्रतीत होता है कि गांजा दर्द की जानकारी की प्रक्रिया करने वाले कई मस्तिष्क क्षेत्रों में मिलने वाले ग्राहियों (रिसेप्टर्स) से बंधकर यह प्रभाव दिखाता है।

तंत्रिकाविज्ञान में हो रहा अनुसंधान आने वाले वर्षों में दर्द की बुनियादी क्रियाविधियों की बेहतर समझ प्रदान करके बेहतर उपचार संभव बनाएगा। दर्द के संकेतों को अवरुद्ध कर देना या बीच में ही रोक देना, विशेष रूप से तब जब ऊतक को कोई स्पष्ट चोट/क्षति या आघात न पहुंचा हो, नई दवाओं के विकास का एक मुख्य लक्ष्य है।

अन्य उपचार

जीर्ण दर्द के उपचार विकल्पों में दवाओं की एक सीढ़ी शामिल है, जिसमें पहले पायदान पर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ़्लमेटरी दवाएं, जैसे एस्पिरिन, मौजूद हैं, और सबसे ऊपरी पायदान पर कठोर नियंत्रण के अधीन आने वाले अफ़ीम-युक्त पदार्थ, जैसे मॉर्फीन।

एस्पिरिन और आइबुप्रोफ़ेन से मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में राहत मिल सकती है पर तंत्रिका विकृति जन्य दर्द के मामले में इनका कोई विशेष उपयोग नहीं है। इसमें COX-2 प्रावरोधक (सुपरएस्पिरिन वर्ग की दवाएं) शामिल हैं, जैसे सेलेकॉक्सिब (Celecoxib, एक ब्रांड: सेलेब्रेक्स (Celebrex))।

सीढ़ी के सबसे ऊपरी पायदान पर अफ़ीम जैसे पदार्थ मौजूद हैं। ये अफ़ीम के पौधे से उत्पन्न दवाएं हैं जो मानवजाति को ज्ञात सबसे पुरानी दवाओं में से एक हैं। इनमें कोडीन और मॉर्फीन आती हैं।

हालांकि मॉर्फीन अभी-भी उपचार की सीढ़ी के सबसे ऊपरी पायदान पर मौजूद सर्वाधिक प्रयुक्त चिकित्सा है, पर आमतौर पर यह एक अच्छा दीर्घकालिक समाधान नहीं है। यह श्वसन को मंद करती है, कब्ज़ करती है, और मस्तिष्क को उलझा देती है। लोगों में इसके प्रति सहनीयता और इसकी लत भी उत्पन्न हो जाती हैं। साथ ही, यह कई प्रकार के तंत्रिका विकृति जन्य दर्द के विरुद्ध अप्रभावी है। वैज्ञानिक किसी ऐसी मॉर्फीन जैसी दवा को विकसित करने की आशा करते हैं जिसमें मॉर्फीन के दर्द कम देने वाले गुण तो हों पर व्यक्ति को दुर्बल बनाने वाले अवगुण न हों।

सीढ़ी के बीच के पायदानों पर भी कुछ दवाएं हैं जो जीर्ण दर्द के कुछ प्रकारों में राहत देती हैं:

  • आक्षेपरोधी दवाओं का विकास दौरों के उपचार के लिए किया गया था पर कभी-कभी इन्हें दर्द के लिए भी सुझाया जाता है।
  • कार्बामेज़पाइन (Carbamazepine, एक ब्रांड: टेग्रिटॉल (Tegretol)) का उपयोग कई दर्दपूर्ण स्थितियों, जिनमें ट्राइजेमाइनल न्यूरैल्जिया शामिल है, के उपचार के लिए किया जाता है।
  • गाबापेंटिन (Gabapentin, एक ब्रांड: न्यूरॉन्टिन (Neurontin)) को तंत्रिका विकृति जन्य दर्द के लिए चिकित्सक “ऑफ़ लेबल” ढंग से लिखते हैं (यानि इस उद्देश्य के लिए यह FDA द्वारा स्वीकृत नहीं है)।

फ़ाइज़र (Pfizer) को दर्द को निशाना बनाने के लिए एक आक्षेपरोधी दवा के उपयोग के लिए 2012 में FDA से स्वीकृति मिली थी, और इस बार यह दर्द, विशिष्ट रूप से SCI से संबंधित था। प्रीगाबालिन (Pregabalin, एक ब्रांड: लायरिका (Lyrica)) ने प्लेसीबो की तुलना में आधार-रेखा से SCI संबंधी तंत्रिकाविकृतिजन्य दर्द घटाने में सफलता दिखाई थी। लायरिका (Lyrica) पाने वाले रोगियों में प्लेसीबो पाने वाले रोगियों की तुलना में दर्द में 30 से 50 प्रतिशत की कमी देखी गई। लायरिका (Lyrica) हर किसी के लिए काम नहीं करती है। और इसके साथ विभिन्न संभावित दुष्प्रभाव भी जुड़े हुए हैं, जैसे बेचैनी, अधीरता, सोने में परेशानी, घबराहट के दौरे, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, व्याकुलता, आक्रामकता, और आत्महत्या के व्यवहार का जोखिम।

कुछ लोगों के मामले में, ट्राइ-सायक्लिक अवसादरोधी दवाएं दर्द के उपचार में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। एमिट्रिप्टायलिन (Amitriptyline, जिसे एलाविल (Elavil) एवं अन्य ब्रांड नामों से बेचा जाता है) SCI के बाद होने वाले दर्द के उपचार में प्रभावी है और इस बात का कुछ साक्ष्य मौजूद है कि यह अवसाद के साथ जी रहे लोगों में काम करती है।

इसके अतिरिक्त, बेंज़ोडाइएज़पाइन्स नामक वर्ग की बेचैनी-रोधी दवाएं (जैसे ज़ैनैक्स (Xanax) और वेलियम (Valium)) मांसपेशियों को शिथिल करती हैं और कभी-कभी दर्द से निपटने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। मांसपेशियों को शिथिल करने वाली एक और दवा है बैक्लोफ़ेन (Baclofen) जिसे मेरु नाल में दवा पहुंचाने वाले (इंट्राथीकल) प्रत्यारोपित पंप द्वारा दिया जाता है; यह SCI के बाद होने वाले जीर्ण दर्द में राहत देती है, पर केवल तब जब वह मांसपेशियों की ऐंठन से संबंधित हो।

तंत्रिका विज्ञान में हो रहा अनुसंधान आने वाले वर्षों में दर्द की बुनियादी क्रियाविधियों की बेहतर समझ प्रदान करके बेहतर उपचार संभव बनाएगा। दर्द के संकेतों को अवरुद्ध कर देना या बीच में ही रोक देना, विशेष रूप से तब जब ऊतक को कोई स्पष्ट चोट/क्षति या आघात न पहुंचा हो, नई दवाओं के विकास का एक मुख्य लक्ष्य है।

वीडियो: दर्द प्रबंधन

दर्द प्रबंधन शिक्षण शृंखला भाग 1

यह वेबिनार इस प्रश्न पर केंद्रित है कि: “मेरे दर्द की दवा क्या है?” इस सत्र में दर्द की दवाओं की बुनियादी आधार-रेखा का परिचय होगा, लकवे के साथ जीने में होने वाले दर्द के प्रकारों के बारे में, और उनकी दवाओं के बारे में समझाया जाएगा। इसमें दर्द की दवाओं के बारे में नवीनतम सूचनाओं से अवगत रहने के संभावित संसाधनों पर भी बात की जाएगी।

इस सत्र के मेज़बान हैं जय गुप्ता, RPh, MSc, MTM स्पेशलिस्ट एवं C-IAYT. वे नाशुआ, न्यू हैम्पशायर स्थित हार्बर होम्स में फार्मेसी एवं इंटिग्रेटिव हेल्थ के डायरेक्टर हैं और साथ ही एक MTM परामर्शदाता और योग चिकित्सक भी हैं। जय RxRelax, LLC और YogaCaps, Inc. के सह-संस्थापक भी हैं।

जनवरी 2019 में रिकॉर्ड किया गया

दर्द प्रबंधन शिक्षण शृंखला भाग 2

फ़रवरी 2019 में रिकॉर्ड किया गया

यह वेबिनार ओपिऑइड दवाओं/पदार्थों को समझने और व्यसन (लत लगने) के चिह्नों की पहचान करने पर केंद्रित है। इस सत्र में पहले वेबिनार का एक संक्षिप्त सारांश होगा, तथा ओपिऑइड दवाओं/पदार्थों के मूल पर, उनके काम करने के तरीके पर, और ओपिऑइड उपयोग विकार के कारणों और उपचारों पर चर्चा की जाएगी। सत्र में अंतिम वेबिनार का संक्षिप्त विवरण भी होगा जिसमें ओपिऑइड दवाओं/पदार्थों की मात्रा घटाते जाने के विकल्प शामिल हैं।

इस सत्र के मेज़बान हैं जय गुप्ता, RPh, MSc, MTM स्पेशलिस्ट एवं C-IAYT. वे नाशुआ, न्यू हैम्पशायर स्थित हार्बर होम्स में फार्मेसी एवं इंटिग्रेटिव हेल्थ के डायरेक्टर हैं और साथ ही एक MTM परामर्शदाता और योग चिकित्सक भी हैं। जय RxRelax, LLC और YogaCaps, Inc. के सह-संस्थापक भी हैं।

दर्द प्रबंधन शिक्षण शृंखला भाग 3

मार्च 2019 में रिकॉर्ड किया गया

इसमें ओपिऑइड दवाओं/पदार्थों की मात्रा घटाते जाने की बुनियादी बातें और उनसे संबंधित कारक, ओपिऑइड दवाओं/पदार्थों की मात्रा घटाते हुए कोई गैर-ओपिऑइड दवा शुरू करने से संबंधित आम प्रश्न, और समेकित चिकित्सा (इंटिग्रेटिव थेरेपी) के विभिन्न विकल्प शामिल हैं।

इस सत्र के मेज़बान हैं जय गुप्ता, RPh, MSc, MTM स्पेशलिस्ट एवं C-IAYT. वे नाशुआ, न्यू हैम्पशायर स्थित हार्बर होम्स में फार्मेसी एवं इंटिग्रेटिव हेल्थ के डायरेक्टर हैं और साथ ही एक MTM परामर्शदाता और योग चिकित्सक भी हैं। जय RxRelax, LLC और YogaCaps, Inc. के सह-संस्थापक भी हैं।

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स्रोत : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरलॉजिकल डिसॉर्डर्स एंड स्ट्रोक (NINDS),नेशनल मल्टिपल स्क्लेरोसिस सोसायटी, डाना फ़ाउंडेशन